इजरायल और हमास के युद्ध का असर भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडॉर पर पड़ सकता है जिसकी घोषणा जी-20 बैठक के दौरान सितंबर 2023 में की गई थी. ये चिंता खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने जताई है. वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा तनाव के कारण जी-20 बैठक के दौरान भारत – मिडिल ईस्ट- यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Economic Corridor ) की जो घोषणा की गई थी उसे जो वैश्विक राजनीतिक चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है.
इंडो पैसेफिक रीजनल डायलॉग 2023 (Indo-Pacific Regional Dialogue 2023) को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत – मिडिल ईस्ट- यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर सभी देशों के हित में है. इससे ट्रांसपोर्टेशन में दक्षता आएगी, लॉजिस्टिक्स खर्च कम होगी, आर्थिक एकता बढ़ेगी, रोजगार के अवसर का सृजण होगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है जिससे एक स्वच्छ, सुरक्षित, बेहतर दुनिया बनाने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि इसके सामने भू-राजनीतिक चुनौतियों भी हैं और इजरायल और गाजा में चल रहा संघर्ष एक चिंताजनक स्थिति है.
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल और हमास के बीच युद्ध का आगाज हुआ था. फिलिस्तीन के इस्लामिक संगठन हमास के इजरायल पर हमले और उसके बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई जारी है. इसके बाद से ही इस बात की आशंका जताई जा रही है इजरायल और हमास के युद्ध का असर भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडॉर पर पड़ सकता है. इस कॉरिडोर के तहत खाड़ी के देश से लेकर यूरोप तक रेल लाइन बिछाया जाना है.
चीन पर नकेल कसने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्राध्यक्ष की मौजूदगी में जी20 समिट के दौरान ज्वाइंट इंफ्रास्ट्रक्चर डील के तहत भारत से शिपिंग और खाड़ी के देशों को यूरोप के साथ रेल नेटवर्क के जरिए जोड़ने का ऐलान किया गया था. भारत के साथ शिपिंग लाइन और खाड़ी के देशों से लेकर यूरोप तक रेल नेटवर्क के जरिए इस कॉरिडोर को जोड़ा जाएगा. भारत के साथ मिडिल ईस्ट और यूरोप के साथ कनिक्टिविटी बहुत महत्वपूर्ण है और इससे सभी देशों के लिए आर्थिक फायदा तो लेकर आएगा ही साथ ही इसके रणनीतिक मायने भी हैं. पर इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध का साया इस कॉरिडोर पर पड़ा है.