रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को यहां स्कूल शिक्षा विभाग की परियोजना विजयी सहित 20 योजनाओं का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने शुभारंभ कार्यक्रम और सह-कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें मूल्यांकन और आत्म अवलोकन करने की जरूरत है। हमें देखना होगा की आज दुनिया विशेषकर भारत में छत्तीसगढ़ के बच्चों की स्थिति क्या है ? जब तक हम तुलना कर अपने सही स्तर को नहीं आकेंगे तब तक भविष्य में विकास करना संभव नहीं होगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने तीन उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस तरह अबूझमाड़ के आश्रम में पहली बार पढ़ने वाले सात में से सभी सात आदिवासी बच्चों ने मेरिट में जगह बनायी, कोंटा विधानसभा के आदिवासी गांव के बच्चे कैसे आधुनिक तीर धनुष विद्या में पारंगत बने और किस तरह छत्तीसगढ़ के उनके गांव के केंवट समाज के एक युवा ने तालाब के किनारे के पेड़ से डायविंग में पांच बार गुलाटी मारकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है उनकी प्रतिभा को पहचानने और तराशने की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में स्कूलों के लिए धन राशि और संसाधनों की भी कमी नहीं है, जरूरत है कि इनका सदुपयोग हो और इनके माध्यम से बच्चों और शिक्षा के क्षेत्र को सही दिशा दी जा सके, तभी छत्तीसगढ़ को नयी पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा नई सरकार ने सबसे पहले खेती-किसानी के विकास के लिए ध्यान दिया है। अब दूसरा कदम शिक्षा के विकास के लिए लिया जाना है। क्योंकि अगर हम शिक्षा में पिछड़े तो सभी क्षेत्रों में पिछड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में समय के सदुपयोग करने का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। 20 कार्यक्रमों को तैयार करना एक-दो दिन का काम नहीं है। विधानसभा के आचार संहिता के दौरान शिक्षा विभाग के लोगों ने शिक्षा के विकास के लिए मार्गदर्शिकाएं एवं योजनाएं तैयार की। इसके लिए सभी बधाई के पात्र है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने परियोजना ‘विजयी’ की जानकारी देते हुए बताया कि बालिका शिक्षा के सशक्तिकरण और बालिकाओं के जीवन को सफल बनाने की दृष्टि से शुरू किया गया है। उन्होंने स्कूलों और शिक्षा को रूचिकर एवं आकर्षित बनाने, शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाकर गुणवत्तापूर्ण बनाने पर जोर दिया।