म्यूचुअल फंड में निवेश तो सभी को पसंद है, लेकिन इस फंड की एक कैटेगरी ऐसी है जिसमें अचानक लोगों का क्रेज बढ़ गया है. ऐसा न तो शेयर बाजार के किसी जादू से हुआ और न ही किसी फंड के दमदार प्रदर्शन की वजह से हो रहा है, बल्कि सरकार के एक नियम बदलने का असर है. अब निवेशकों को इस खास कैटेगरी के फंड में न सिर्फ ज्यादा रिटर्न दिखाई दे रहा, बल्कि टैक्स की बचत भी ज्यादा दिख रही है.
बजट 2023 (Budget 2023) में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया था कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को अब इंडेक्सेशन का लाभ नहीं दिया जाएगा. इंडेक्सेशन का लाभ महंगाई दर के सापेक्ष निवेश पर होने वाले खर्च पर टैकस की अतिरिक्त छूट के रूप में दिया जाता है. इस ऐलान के तत्काल बाद निवेशकों की प्रवृत्ति में भी बदलाव दिखना शुरू हो गया.
निवेशकों ने क्यों बदला मन
दरअसल, डेट फंड में जोखिम बहुत कम होता है और इस पर रिटर्न एफडी के मुकाबले ज्यादा मिलता है. लिहाजा ऐसे निवेशक जो बिना जोखिम उठाए एफडी से ज्यादा पैसा कमाना चाहते थे, उनकी पहली पसंद अभी तक डेट फंड ही रहते थे. लेकिन, बजट में डेट फंडों पर इंडेक्सेशन का लाभ बंद किए जाने के बाद निवेशकों का मोहभंग भी शुरू हो गया. हालांकि, उन्होंने इक्विटी का रुख नहीं किया क्योंकि यहां बाजार का जोखिम ज्यादा रहता है. तो, उन्होंने बीच का रास्ता अपनाया और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund) में पैसे लगाने शुरू कर दिए.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड से क्या फायदा
जैसा कि इसके नाम से जाहिर है कि यह हाइब्रिड कैटेगरी का है. मसलन, इसमें लगाया पैसा डेट और इक्विटी दोनों ही कैटेगरी में निवेश किया जाता है. यह स्कीम इक्विटी यानी शेयरों के साथ सरकारी प्रतिभूतियों और सोने-चांदी जैसे एसेट में भी कुछ हिस्सा निवेश करती है. इस रणनीति के कारण ये फंड ज्यादा रिटर्न भी देते हैं और इन पर बहुत जोखिम भी नहीं रहता है. अब जबकि सरकार ने इंडेक्सेशन का लाभ बंद कर दिया है तो जाहिर है कि निवेशक ज्यादा रिटर्न लेकर अपने नुकसान की भरपाई कर रहे हैं. यही कारण है कि इस कैटेगरी में चालू वित्तवर्ष के दौरान जमकर पैसे लगाए जा रहे हैं.