अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस अक्षरों की अलख जगाने का दिन है, अक्षर ज्ञान की महत्ता बताने का दिन है। यह अक्षर ज्ञान के प्रकाश से समाज में सुख और समृद्धि फैलाने के संकल्प लेने का दिन है। अक्षर ज्ञान वह पहला द्वार है, जहां से ज्ञान के अनंत रास्ते खुलते हैं। साक्षरता से शिक्षा और शिक्षा से विकास का सीधा संबंध है।
साक्षरता वह शक्ति है, जिससे हम बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। शिक्षा हमारे जीवन में बदलाव लाती है। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षकों के साथ पालक भी बच्चों की शिक्षा में योगदान दें। अशिक्षित पालकों को शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों को शिक्षित कर सकें। साक्षरता के लिए व्यक्तिगत रूचि और सामूहिक प्रयासों की बड़ी आवश्यकता है। व्यापक जनभागीदारी से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मानव के सम्पूर्ण विकास के लिए साक्षरता बहुत महत्वपूर्ण है। यह समग्र रूप से सशक्त समाज के निर्माण के लिए आवश्यक साधन है। साक्षर समाज समानता, शांति और विकास का मूल आधार है। इसे विश्व स्तर पर मान्यता दी गई है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा वर्ष 2020 में विधानसभा में ‘पढ़ना लिखना अभियान’ की घोषणा की गई। इस कार्यक्रम में 15 वर्ष से अधिक उम्र समूह के असाक्षरों को बुनियादी साक्षरता एवं अंक ज्ञान प्रदान करने के लिए निर्धारित लक्ष्य ढाई लाख में से 2 लाख 22 हजार 477 शिक्षार्थियों को साक्षर किया गया। 25 हजार स्वयंसेवी शिक्षकों को मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। प्रदेश में कोरोना काल के दौरान असाक्षरों को निर्धारित समयावधि एवं आवश्यक पठन-पाठन कराकर शिक्षार्थियों के आंकलन हेतु महापरीक्षा अभियान का आयोजन किया गया। चिन्हांकित स्वयंसेवी शिक्षकों को प्रशिक्षण उपरांत उनके माध्यम से विधिवत मोहल्ला साक्षरता केन्द्रों का संचालन किया गया। इसके लिए सर्वप्रथम जिलों में सर्वे के माध्यम से ढाई लाख असाक्षर और उन्हें पढ़ाने वाले 25 हजार स्वयंसेवी शिक्षकों का चिन्हांकन किया गया। पढ़ना-लिखना अभियान के अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 28 जिलों की 2 हजार 925 ग्राम पंचायतों और 121 नगरीय निकायों में इसका क्रियान्वयन किया गया।