निवेशकों के सामने जब भी सुरक्षित रिटर्न की बात आती है तो वे आंख बंद कर बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करा देते हैं. यहां जमा कराए पैसों पर 5 लाख रुपये तक इंश्योरेंस कवरेज भी मिलता है. बीते एक साल में एफडी की ब्याज दरें भी बढ़ी हैं, लेकिन महंगाई का दबाव इसके रिटर्न को लगातार कमजोर बना रहा है. ऐसे में जब एफडी पर भी माकूल रिटर्न नहीं मिल रहा हो तो निवेशक क्या करें और कहां अपना पैसा रखें.
दरअसल, बैंकों ने भले ही एफडी पर ब्याज दरें बढ़ा दी हों और 3 से 5 साल की एफडी पर 7 फीसदी तक ब्याज मिल रहा है. लेकिन, खुदरा महंगाई भी बीते कुछ समय से लगातार बढ़ती जा रही है. चालू वित्तवर्ष के लिए भी रिजर्व बैंक ने औसतन 5.4 फीसदी खुदरा महंगाई का अनुमान लगाया है. इस तरह 7 फीसदी तक ब्याज पाने के बावजूद आपका वास्तविक रिटर्न महंगाई के मुकाबले शून्य से भी नीचे पहुंच जाता है.
क्या है एफडी पर ब्याज की सच्ची तस्वीर
अगर आप देखें तो अभी HDFC Bank, ICICI Bank और PNB 7.1 फीसदी तक ब्याज एफडी पर दे रहे हैं. इस पर टैक्स जमा करने के बाद आपका वास्तविक रिटर्न गिरकर 5 फीसदी रह जाता है. इसी तरह, एसबीआई में अभी एफडी की ब्याज दर 6.5 फीसदी है, लेकिन टैक्स चुकाने के बाद वास्तविक रिटर्न घटकर 4.63 फीसदी रह जाता है. यह खुदरा महंगाई के आंकड़े से काफी कम है. इसका मतलब हुआ कि आपको जो भी ब्याज एफडी से मिल रहा है, उससे ज्यादा तो सालभर में महंगाई बढ़ जाती है.
हाई टैक्स स्लैब वालों का नुकसान
निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन का कहना है कि हाई टैक्स ब्रेकेट में आने वाले करदाताओं के लिए एफडी में पैसे लगाना बिलकुल फायदेमंद नहीं है. मान लीजिए, कोई करदाता 30 फीसदी के टैक्स स्लैब में आता है. ऐसे निवेशकों के लिए एफडी का वास्तविक रिटर्न 5.16 फीसदी तक होता है, जो मौजूदा खुदरा महंगाई की दर 5.5 फीसदी से कम ही होगा. सीधा मतलब है कि आपको मिलने वाला रिटर्न महंगाई के सापेक्ष शून्य से भी कम होगा.
फिर क्या करें निवेशक
अगर निवेशकों को एफडी पर सही रिटर्न नहीं मिल पा रहा तो उन्हें A रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड या फिर डेट म्यूचुअल फंड में हाथ आजमाना चाहिए. निवेश के इन विकल्पों में जोखिम भी कम होता है और रिटर्न भी सामान्य एफडी से ज्यादा मिल जाता है. A रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड में जोखिम भी कम होता है और यह एफडी के मुकाबले ज्यादा रिटर्न भी अपने निवेशक को देता है.