संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडेय (Indra Mani Pandey) बिम्सटेक (BIMSTEC) के अगले महासचिव होंगे. वह पहले भारतीय राजनयिक हैं, जिन्हें यह अहम जिम्मा मिला है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है.
कौन हैं इंद्रमणि पांडेय?
इंद्रमणि पांडेय 1990 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अफसर हैं. उनकी गिनती देश के तेज-तर्रार ब्यूरोक्रेट्स में होती है. फिलहाल जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे थे. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सात देशों के समूह बिम्सटेक का महासचिव बनने वाले इंद्रमणि पांडेय पहले भारतीय होंगे. वह जल्द ही कार्यभार संभालेंगे.
क्या है बिम्सटेक?
बिम्सटेक यानी बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन. यह 7 देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें दक्षिण एशिया के पांच देश- भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश- म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं. साल 1997 में यह अस्तित्व में आया था. BIMSTEC का सचिवालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है.
बिम्सटेक की जब स्थापना हुई तो इसका मुख्य उद्देश्य इन देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग को बढ़ावा देना था. साथ ही आर्थिक सहयोग (Economic Cooperation ) में सुधार लाना था.
भारत के लिए इतना अहम क्यों?
बिम्सटेक दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को तो जोड़ता ही है. साथ ही हिमालय और बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) को भी कनेक्ट करता है. भारत लंबे वक्त से ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी को तरजीह देता रहा है और बिम्सटेक को एक अहम कड़ी के रूप में देखता है.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हाल के दिनों में जिस तरीके से चीन (China) की आक्रामकता बढ़ी है, उस परिस्थिति में भारत को बिम्सटेक में महासचिव जैसा जिम्मा मिलना बहुत अहम है और रणनीतिक तौर पर कई तरीके से लाभ लिया जा सकता है.