सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की उस याचिका पर एलजी कार्यालय को नोटिस जारी किया, जिसमें उसने अपनी ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना के लिए राशि जारी करने के निर्देश देने की मांग की है. इस योजना के तहत राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों पर दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले लोगों के लिए मुफ्त और त्वरित उपचार होता है.
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और सुधांशु धूलिया की पीठ ने सरकार के एक विंग द्वारा दूसरे के खिलाफ दायर रिट याचिका की जांच करने पर सहमति जताई और एलजी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और अन्य से जवाब मांगा.
‘आप’ के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मुद्दा बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के सामाजिक कल्याण से संबंधित है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत कई हजार दुर्घटना पीड़ितों को लाभ हुआ है. कोर्ट ने कहा कि वह जनवरी में शीतकालीन छुट्टियों के तुरंत बाद मामले को देखेगी.
इस योजना के तहत, पीड़ितों को दिल्ली भर में किसी भी पंजीकृत सार्वजनिक या निजी नर्सिंग होम या अस्पताल में कैशलेस इलाज मिलता है. पीड़ितों को लाने वालों को दिल्ली सरकार की ओर से 2,000 रुपए की प्रशंसा राशि भी मिलती है.
इससे पहले, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि दो अधिकारी – डॉ. एस.बी. दीपक कुमार (स्वास्थ्य सचिव) और डॉ. नूतन मुंडेजा (महानिदेशक) – ने निजी अस्पतालों को भुगतान में देरी करने या रोकने की साजिश रची है. नतीजतन, अस्पताल ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना के तहत मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं.