भारत को आजादी दिलाने वाले अमर शहीदों और असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को सादर नमन, जिनके त्याग तथा बलिदान के कारण, आजाद देश को अपना संविधान बनाने का अवसर मिला। उन सभी महान विभूतियों को सादर नमन, जिनके अथक परिश्रम और अपार प्रतिभा के कारण भारत को गौरवशाली संविधान मिला। हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा और एक लंबी यात्रा के उपरांत आज हम अपने गणतंत्र के अमृत महोत्सव के मुकाम पर पहुंचे हैं।
आज के दिन सन् 1950 में भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। हमारा महान संविधान लोकतंत्र की आत्मा है। देश की एकता और अखण्डता बनाए रखने का माध्यम है। संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी आस्था और विश्वास बनाए रखकर ही प्रत्येक व्यक्ति और प्रदेश राष्ट्र के प्रति अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर सकता है। भारत का प्रत्येक नागरिक संविधान-प्रदत्त अधिकार के माध्यम से अपना जीवन संवार सकता है।
देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर, जैसी सभी महान विभूतियों के साथ ही प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल तथा उन लाखों मनीषियों को सादर नमन करता हूं, जिनके अनमोल योगदान के कारण हम सभी को दुनिया के महानतम गणतंत्र और सफलतम लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने का गौरव मिला। मैं इसी क्रम में भारत की वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु एवं वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी सादर स्मरण करता हूं, जिन्होंने अपने यशस्वी व्यक्तित्व एवं कृतित्व से यह साबित किया है कि हमारे संविधान और लोकतंत्र की शक्ति से साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति देश के शीर्षस्थ पदों पर पहुंच कर, अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकता है। मां भारती के गौरव को ब्रम्हाण्ड के हर हिस्से में पहुंचा सकता है। समानता और न्याय के अधिकार की ऐसी बानगी विश्व कल्याण का माध्यम बन रही है।