खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल ने आज न्यू सर्किट हाउस रायपुर में बलौदाबाजार की घटना के संदर्भ में भिलाई नगर के कांग्रेसी विधायक श्री देवेन्द्र यादव के अपराधिक कृत्यों एवं उक्त घटना में उनकी संलिप्तता के संबंध में प्रेसवार्ता ली। उन्होंने बलौदाबाजार में 10 जून की घटना के लिए भिलाई नगर के विधायक श्री देवेन्द्र यादव को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सतनामी समाज की असहमति के बावजूद भी वह जबरन सतनामी समाज के आयोजन में पहुंचे। श्री यादव भिलाई से बहुत से असामाजिक और शरारती तत्वों को भी अपने साथ ले गए थे। उन्होंने लोगों को बलौदाबाजार कलेक्टोरेट परिसर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय के घेराव और वहां तोड़-फोड़ आगजनी के लिए उकसाया। श्री यादव के साथ गये असामाजिक तत्वों ने भी इस घटना को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभाई।
प्रेसवार्ता के पूर्व में मीडिया प्रतिनिधियों को वीडियो फुटेज भी दिखाया गया, जिसमें विधायक श्री यादव प्रमुखता से लोगों को भड़काते नजर आए। मंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि इस वीडियो में आपने देखा कि एक संगीन प्रकरण में गिरफ्तारी के बावजूद किस तरह आदतन अपराधी की तरह से विधायक देवेन्द्र यादव व्यवहार करते नजर आ रहे हैं। किस तरह वे सतनाम समाज के पवित्र झंडे को अपने पावों पर रख रहे हैं। इस तरह आप इनकी मंशा को समझ सकते हैं।
पिछले 10 जून को बलौदाबाजार में हुई घटना बेहद ही दुखद है। वास्तव में एक शांतिपूर्ण आन्दोलन को भड़का कर उसे हिंसक बना देना कांग्रेस के टूलकिट का हिस्सा था। यहां तक कि अमर गुफा की घटना भी इनके टूल किट का ही हिस्सा था। प्रदेश भर में ऐसी घटनाएं हो रही है या साजिश रची जा रही है।
कांग्रेस जहां भी कमजोर होती है या सत्ता में नहीं होती है वहां वह अराजकता पैदा करती है, देश भर में अलग-अलग बहानों से उपद्रव फैलाते रहने की ही एक कड़ी बलौदाबाजार की हिंसा भी थी जिसके टूल कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव हैं।
एक सोची-समझी साजिश के तहत बिना बुलाये कांग्रेस विधायक भिलाई नगर से बलौदाबाजार पहुंचे, उन्हें मंच पर समाज के लोगों ने चढ़ने भी नहीं दिया, फिर भी वे नीचे बैठ कर दंगे के साजिश को अंजाम दिया।
आखिर समाज के बैठक में भिलाई नगर के विधायक का क्या काम हो सकता था भला? आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि कांगेस के भी अन्य अनेक विधायक वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन देवेन्द्र यादव वहां फसाद कराने भिलाई से पहुंच गए। बलौदाबाजार और भाटापारा के कांग्रेस विधायक भी वहां नहीं पहुंचे थे लेकिन कांग्रेस के टूल के रूप में देवेन्द्र यादव पहुंच गए।
बुलावे के बिना कार्यक्रम स्थल पर जा कर अपने समर्थकों को भड़का कर व्यापक आगजनी एवं तोड़फोड़ किया गया। यादव ने 10 जून को अपने समर्थकों को उत्प्रेरित कर कानून को अपने हाथ में लेने का षड्यंत्र किया, जिससे करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ और सैकड़ों वाहनों को तोडफोड कर आगजनी किया गया। शासकीय भवनों तक को जला दिया गया।
आपराधिक कृत्यों में जुड़े रहने का यह श्री यादव का पहला मामला भी नहीं है, ये आदतन अपराधी रहे हैं। इससे पहले ईडी द्वारा कोल घोटाले में देवेन्द्र यादव को चार्टशीट किया गया है तथा उच्च न्यायालय में इस प्रकरण में देवेन्द्र यादव की अग्रिम जमानत की याचिका भी खारिज हो चुकी है।
देवेन्द्र यादव के विरूद्ध आधे दर्जन से अधिक आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। कुछ प्रकरण तो इतने संगीन हैं कि कांग्रेस की भूपेश सरकार भी चाह कर भी यादव के प्रकरण को वापस नहीं ले पायी। ऐसे आपराधिक मनोवृत्ति के व्यक्ति को आगे कर कांग्रेस वास्तव में प्रदेश में आग लगाने की साजिश रच रही है, इसका खुलासा होना ही चाहिए।
न्यायालय एवं कानून की भी अवमानना करना इनके चरित्र का हिस्सा है। कोल घोटाले समेत अनेक मामले में ये न्यायालय के समंस एवं वारंट के तामीली से हर तरह के हथकंडे अपनाकर बचते आ रहे हैं। ये कोयला एवं एवं महादेव ऐप घोटाले में भी अभियुक्त हैं।
कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव के खिलाफ ज्यादातर दर्ज मामले बलवा, आगजनी, तोड़फोड़ एवं लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा शासकीय सेवकों पर हमला करने वाले ही हैं। 10 जून को बलौदाबाजार में घटित अपराध में भी इसी तरह के अपराध में विधायक देवेन्द्र यादव की संलिप्तता प्रमाणित हुई है।
देवेन्द्र यादव को बलौदाबाजार मामले में लगातार नोटिस दिये जाने के बाद भी ना ही कभी उपस्थित हुए और ना ही जांच में सहयोग किया। विधायक श्री यादव राहत पाने माननीय हाई कोर्ट भी गए लेकिन वहां से भी इन्हें कोई र…