भागलपुर
पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के पुनर्गठन और ऋण अवधि को 31 दिसंबर 2024 से बढ़ाकर अब 31 मार्च 2030 तक करने को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी। इस योजना का कुल परिव्यय 7,332 करोड़ रुपये होगा। पुनर्गठन के बाद इसका लाभ 50 लाख नए लाभार्थियों सहित कुल 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा। इस विस्तार से रेहड़ी-पटरी वालों को न सिर्फ स्थायी वित्तीय सहायता मिलेगी, बल्कि उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान और शहरी अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण का भी मार्ग प्रशस्त होगा।
इसका लाभ भागलपुर नगर निगम क्षेत्र को भी मिलेगा। शहरी क्षेत्र में करीब 72 सौ रेहड़ी-पटरी वालों का सर्वे पांच वर्ष पहले कराया गया था। जिसमें से पीएम स्वनिधि योजना से पहले, दूसरे व तीसरे चरण के ऋण का लाभ 4300 रेहड़ी-पटरी वालों को मिला। शेष बचे वेंडरों को अगले पांच साल में योजना का लाभ मिलेगा। इसके साथ नए वेंडरों का शहर में सर्वे कराकर योजना से जोड़ने की तैयारी है। जबकि सार्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग 7200 में 6600 को मिला है। वहीं, 5800 को फुटकर विक्रेता पहचान पत्र उपलब्ध कराया गया है। जिससे वो अपना रोजगार को बढ़ा सके और आर्थिक रूप से मजबूत बन सके।
योजना से ऋण मद में हुआ बदलाव
योजना का क्रियान्वयन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग की संयुक्त जिम्मेदारी होगी। नई संरचना के तहत प्रथम किस्त ऋण 10,000 से बढ़ाकर 15 हजार रुपये, द्वितीय किस्त 20 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी गई है, जबकि तीसरी किस्त 50,000 रुपये पर यथावत रहेगी। दूसरी किस्त चुकाने वाले लाभार्थियों को यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी, जिससे वे आकस्मिक व्यावसायिक या व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए तुरंत ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
डिजिटल लेनदेन को मिला बढ़ावा
डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए रेहड़ी-पटरी वाले 1,600 रुपये तक कैशबैक का लाभ उठा सकेंगे। साथ ही एफएसएसएएल के सहयोग से मानक स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा। ‘स्वनिधि से समृद्धि’ पहल के तहत मासिक लोक कल्याण मेलों का आयोजन कर विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ परिवारों तक पहुंचाने पर जोर दिया जाएगा।
2020 में शुरू हुई थी योजना
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के दौरान एक जून 2020 को शुरू हुई यह योजना अब तक 68 लाख से अधिक वेंडरों को 13,797 करोड़ रुपये के 96 लाख से ज्यादा ऋण वितरित कर चुकी है। 47 लाख लाभार्थियों ने 557 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन कर 241 करोड़ रुपये कैशबैक प्राप्त किया है। योजना को प्रधानमंत्री पुरस्कार (2023) और डिजिटल प्रक्रिया पुनर्रचना के लिए रजत पुरस्कार (2022) भी मिल चुका है।