मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने वीर बाल दिवस के अवसर पर बलिदानी 04 वीर साहिबजादों को नमन करते हुए कहा कि उनकी शहादत हमें प्रेरित करती है। वीर साहिबजादों ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देना स्वीकार किया। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल के दौरान इन साहिबजादों के बलिदान को चिर स्थायी बनाने के लिए वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की, हमारे लिए यह सौभाग्य की बात है। उन्होंने सम्मानित चारों वीर बालक-बालिकाओं के साहसिक कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि जान की परवाह किए बिना इन बच्चों ने अपने परिजनों व साथियों का जीवन बचाया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी द्वारा किए जा रहे सामाजिक व बौद्धिक कार्यों की सराहना की।
छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के संरक्षक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के सदस्य के रूप में हमारा सौभाग्य है कि हम लगातार दूसरे वर्ष वीर बालकों का सम्मान कर पा रहे है। बच्चों ने अपनी बुद्धिमता, सक्रियता और साहस का परिचय देते हुए अपनों की जान बचाई है। निश्चित ही अन्य बच्चों को भी इनके अदम्य साहस से प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने वीर बाल दिवस मनाने के लिए छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के प्रयासों का भी जिक्र किया। कार्यक्रम में सिक्ख ग्रंथी श्री अमरीक सिंह ने उन साहिबजादों का जीवन परिचय दिया जिनकी स्मृति में वीर बाल दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे गुरूओं ने हमें शहादत सिखायी है और आज भी धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित हैं। ग्रंथी श्री सिंह ने वीर बालक-बालिकाओं को बधाई दी और अपने गुरूओं के बलिदानों को अमर बनाने वीर बाल दिवस मनाए जाने के लिए केन्द्र सरकार के पहल की सराहना की।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के डॉ. सी पी आडवाणी, डॉ. सुरभि दुबे, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संदीप दवे, सोसायटी के पदाधिकारीगण सहित वीर बालकों के परिजन और आमजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन डॉ. कुलदीप सोलंकी ने दिया तथा संचालन डॉ. रवि चौबे द्वारा किया गया।
मुख्यमंत्री के हाथों समानित हुए वीर बच्चे
छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के हाथों चार वीर बालक-बालिकाएं सम्मानित हुए। सम्मानित वीर बच्चों में कोरबा जिले के रहने वाले 15 वर्षीय अमर ज्योति जाहिरे ने पिकनिक के दौरान जान की परवाह किए बिना अपने दोस्त को डूबने से बचाया था। अमर के इस साहसपूर्ण कार्य के लिए उन्हें साहिबजादा अजीत सिंह वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी तरह महासमुंद जिले की रहने वाली 15 वर्षीय छाया विश्वकर्मा ने अपनी सूझ-बुझ से पागल कुत्ते से अपनी बहन की जान बचाई थी। उन्हें साहिबजादा जुझार सिंह वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
धमतरी जिले के कुरूद की रहने वाली 13 वर्षीय जानवी राजपूत ने हिम्मत दिखाते हुए करेंट की चपेट में आए अपने 05 वर्षीय भाई की जान बचाई। उन्हें साहिबजादा जोरावर सिंह वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी तरह धमतरी जिले की 12 वर्षीय भामेश्वरी निर्मलकर ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए तालाब में डूबने से दो बालिकाओं को बचाया। उन्हें साहिबजादा फतेह सिंह वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।