कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमेन प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा है कि दलहन की फसल लेने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को धान के अलावा दलहन, तिलहन की खेती करने से खेती के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती-किसानी करते समय छोटी-छोटी सावधानियां बरतनी चाहिए। इनके जरिए कृषि की लागत में कमी लाई जा सकती है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमेन प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कृषि विभाग व कृषि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की बैठक में कहा कि सभी किसानों को बोनी से पहले अपने खेतों की मिट्टी की जांच करानी चाहिए। साथ ही उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज, नैनो यूरिया के प्रयोग करना चाहिए। इन सबसे कृषि की लागत में कमी की जा सकती है। दलहन-तिलहन की खेती से रासायनिक खाद का उपयोग कम होगा और छोटे-छोटे किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
कृषि विभाग की संचालक श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने बैठक में बताया कि छत्तीसगढ़ में खरीफ का क्षेत्र 48.08 लाख, रबी का क्षेत्र 18.00 लाख तथा लघु धान्य फसलों का क्षेत्र 97.00 हजार हेक्टेयर है। छत्तीसगढ़ की फसल सघनता 138 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में कृषक परिवारों की संख्या 40.10 लाख है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में धान के अलावा अन्य फसलों एवं लघु धान्य फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही किसान सम्मेलन व कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने फसल विविधीकरण पर जोर दिया। उन्होने प्रदेश की जलवायु व भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए धान की फोर्टिफाईड किस्में और सुगंधित किस्मों के फसलें लगाने का सुझाव दिया ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके। बैठक में केन्द्र सरकार के संयुक्त सचिव डॉ. नवीन प्रकाश सिंह, श्री अनुपम मित्रा सहित कृषि लागत एवं मूल्य आयोग सदस्य एवं छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।