साल में चार बार नवरात्रि आती है. इनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो प्रकट नवरात्रि होती हैं. प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है जबकि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. नवरात्रि में देवी दुर्गा और उनके 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है. साल में दो बार प्रकट नवरात्रि चैत्र और आश्विन मास में होती हैं जबकि आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि का आगमन होता है. प्रकट नवरात्रि सांसारिक सुखों, मनोकामनाओं और इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए होती हैं जबकि गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की गुप्त रूप से साधना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है.
2025 में माघ मास में गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से शुरू होगी. इन 9 दिनों में कुछ कार्यों को वर्जित बताया गया है. इनको करने पर विपरीत फल मिलने के साथ दोष लगता है. गुप्त नवरात्रि के दौरान क्या नहीं करना चाहिए, उत्तराखंड के हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने लोकल 18 को इस बारे में बताया. उन्होंने कहा कि गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा और 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त रूप से की जाती है. देवी दुर्गा और 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से पूजा-अर्चना, तंत्र साधना और आराधना करने से मोक्ष प्राप्ति होने की मान्यता है. गुप्त नवरात्रि शुरू होने से एक दिन पहले तामसिक वस्तुओं का सेवन बंद करना होता है. माघ मास में होने वाले गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से शुरू होगी यानी 29 जनवरी से लहसुन, प्याज, अंडा, मांस, मछली, शलजम, गोभी और मदिरा (शराब) का सेवन नहीं करना है.
ब्रह्मचर्य का पालन भी जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि गुप्त नवरात्रि में इन वस्तुओं का सेवन करना पूर्ण रूप से वर्जित होता है. साथ ही वाद-विवाद, मनोरंजन, लड़ाई-झगड़ा करने से दोष लगता है. वहीं इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करने पर भी विपरीत फल मिलता है और जीवन में अनेकों समस्याएं और बाधाएं आती रहती हैं.