गर्मियों की छुट्टियों में तमाम लोग लेह-लद्दाख जाकर सैर सपाटा करेंगे. हालांकि कुछ लोग सर्दियों के मौसम में भी वहां जाना चाहते हैं, लेकिन समय सिर्फ फ्लाइट ही एक रास्ता होता है. सड़क मार्ग सर्दियों में बंद हो जाता है. इस वजह से लोगों को फ्लाइट में मोटा किराया खर्च करना पड़ता है. लेकिन जल्द ही लोग पूरे साल सड़क मार्ग से जा सकेंगे, उनकी फ्लाइट से जाना मजबूरी नहीं होगी. बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) यहां विश्व की सबसे ऊंची टनल बना रहा है, जिसके बाद यह ऑल वेदर कनेक्टीविटी हो जाएगी. यानी मन करे, उठाओ गाड़ी और लेह-लद्दाख चले जाओ.
मौजूदा समय लेह के दो सड़क मार्ग पर हैं लेकिन दोनों ऑलवेदर नहीं हैं. सर्दियों में बर्फबारी होने पर ये दोनों रोड बंद हो जाते हैं और लेह-लद्दाख का संपर्क पूरे देश से सड़क मार्ग से कट जाता है. सिर्फ हवाई मार्ग ही यहां तक पहुंचने का एक रास्ता होता है. लेकिन अब यह परेशानी ज्यादा दिन रहने वाली नहीं है.
बीआरओ यहां पर विश्व की सबसे ऊंची शिंकुला टनल बनाने जा रहा है. इसके लिए एलएओ (लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस) जारी कर दिया गया है. यानी निर्माण कंपनी को फारेस्ट समेत सभी तरह के क्लीयरेंस दे दिए गए हैं और अब निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है.
बीआओ के अनुसार निम्मू-पदम-दारचा मार्ग पर केवल एक ही शिंकुला पास पड़ता है, जो टनल निर्माण के बाद ऑलवेदर रोड बन जाएगी. लेह को कनेक्ट करने के लिए 298 किमी. रोड इस वर्ष अप्रैल में बनाई जा चुकी है. इसमें से 170 किमी. पर रोड पर बिटूमिन लगया जा चुका है. टनल बनने ही पूरे तुरंत लेह पूरे देश से सालभर सड़क मार्ग से जुड़ा रहेगा.
ये होगा फायदा
शिकुंला टनल 4.1 किमी. लंबी होगी, जो सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी. इससे चीन सीमा तक भारतीय सेना की पहुंच आसान होगी. इसके साथ ही जंस्कार के 36 गांवों और लाहौल के 137 गांवों सड़क से जुड़ जाएंगे, वहीं मनाली-कारगिल और मनाली-लेह मार्ग के बीच 12 महीने सेना के साथ आम लोगों और पर्यटक वाहनों की आवाजाही हो सकेगी. मनाली-लेह और मनाली-कारगिल के बीच करीब 100 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी.
शिंकुला टनल के निर्माण के साथ बीआरओ विश्व रिकार्ड बना लेगा. मौजूदा समय सबसे ऊंची टनल चीन में 15500 फुट पर है. शिंकुला टनल 15855 फिट की ऊंचाई पर होगी,जो लाहौल घाटी, हिमाचल प्रदेश और जंस्कार घाटी, लद्दाख जोड़ेगी.