घरों की कीमत ज्यादा होती है इसलिए अक्सर लोग एकमुश्त पैसा देने की बजाय लोन लेकर घर खरीदना पसंद करते हैं. कई बार लोग पूरा पैसा होते हुए भी ऐसा करते हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन 2 प्रमुख कारण समझ में आते हैं. पहला कि बहुत सारा पैसा एक साथ कहीं ब्लॉक नहीं होता और आपातकालीन स्थिति के लिए लिक्विडिटी बनी रहती है. दूसरा कारण यह है कि बैंक किसी भी प्रॉपर्टी पर लोन देने से पहले उसकी अच्छे से जांच परख करते हैं इससे खरीदार को भी पता चलता है कि क्या वह जो प्रॉपर्टी खरीदने जा रहा है उसमें कोई झोल तो नहीं है. खरीदार कई बार ऐसा सोचते हैं कि लोन पर घर लेकर लोन को प्रीपेमेंट कर जल्दी निपटा दिया जाएगा.
लेकिन क्या प्रीपेमेंट करना हर बार सही होता है? इसका जवाब है- नहीं. कई बैंक इसके लिए ग्राहक पर पेनल्टी लगाते हैं. अब सवाल उठता है कि कोई भी संस्थान अपना पैसा जल्दी वापस लेने से क्यो कतराएगा. इसका सीधा सा जवाब है कि बैंक एक तय समय तक दिए गए लोन पर जिस ब्याज की उम्मीद कर रहा था प्रीपेमेंट के कारण उसे वह नहीं मिलेगा. ब्याज ही बैंक का मुनाफा होता है. इसलिए वह अपना मुनाफा कम होता देख ग्राहक पर पेनल्टी लगा देता है. हालांकि, ऐसे कई बैंक हैं जो पेनल्टी नहीं भी लगाते हैं. इसके लिए आपको बैंक से लोन पास कराते वक्त ही बात करनी होगी.
पेनल्टी के अलावा और क्या नुकसान
कई बार बैंकों द्वारा लगाई जा रही पेनल्टी इतनी ज्यादा होती है कि आप प्रीपेमेंट ना करना ही ठीक सकते हैं. लेकिन पेनल्टी ही इकलौता कारण नहीं है जिसके बारे में प्रीपेमेंट से पहले आपको सोचना चाहिए. जैसा कि हमने ऊपर कहा कि बड़ी रकम एकसाथ चुका देने से लिक्विडिटी पर असर पड़ता है. इसका मतलब है कि इमरजेंसी के वक्त फंड की कमी पड़ सकती है. उस समय फिर दूसरों के सामने हाथ फैलाने की नौबत आ सकती है. दूसरा कारण टैक्स है. होम लोन के मूलधन और ब्याज दोनों पर टैक्स में छूट मिलती है. आप आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत होम लोन पर 1.5 लाख तक की छूट प्राप्त कर सकते हो. इसके अलावा आपको ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का एग्जंप्शन मिलता है. प्रीपेमेंट करने से आप ये फायदे छोड़ रहे होते हैं.
क्या करें?
आप लोन अगर जल्दी खत्म करना चाहते हैं तो सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपको पास इमरजेंसी के लिए पर्याप्त फंड हो. आप ऐसा भी कर सकते हैं कि लोन को थोड़ा-थोड़ा प्रीपेमेंट करें. इससे लोन का टेन्योर भी घटता चला जाएगा और आप टैक्स वाला लाभ भी उठाते रहेंगे. अगर आपका बैंक कोई पेनल्टी नहीं लगा रहा है तो भी आप प्रीपेमेंट को कंसिडर कर सकते हैं. आरबीआई के नियम के अनुसार, लोन की ब्याज दर फ्लोटिंग है तो बैंक प्रीपेमेंट पर पेनल्टी नहीं लगा सकता है.