चीन में फैले रहस्यमयी निमोनिया को लेकर पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है. चीन के अस्पतालों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया से पीड़ित बच्चे भरे पड़े हैं. जिसे वॉकिंग निमोनिया या व्हाइट लंग सिंड्रोम भी कहा जा रहा है. हाल ही में इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल लेंसेट में छपी एक स्टडी के हवाले से कई मीडियो रिपोट्स में कहा जा रहा है कि चाइनीज निमोनिया ने भारत में भी दस्तक दे दी है.
इस लेंसेट की इस रिपोर्ट और एम्स में इस स्टडी को करने वाली एक प्रमुख डॉक्टर के हवाले से कहा गया कि नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सितंबर 2022 से लेकर अप्रैल 2023 तक सात केस वॉकिंग निमोनिया यानि माइकोप्लाज्मा निमोनिया के आए थे. रिपोर्ट कहती है कि ये सभी आंकड़े अलग-अलग सैंपलों की अलग-अलग जांच प्रक्रियाओं में सामने आए थे.
हालांकि अब लेंसेट की इस स्टडी के आधार पर चलाई जा रही खबरों को लेकर भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जो भी मीडिया रिपोर्ट्स ये दावा कर रहे हैं कि दिल्ली एम्स में मिले बैक्टीरियल केसेज का चीन में हुए निमोनिया आउटब्रेक से कोई कनेक्शन है, सभी भ्रामक और गलत हैं.
मंत्रालय का कहना है कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया समुदाय से प्राप्त होने वाले निमोनिया का सबसे कॉमन बैक्टीरियल कारण है. दिल्ली एम्स में मिले निमोनिया के मामलों का चीन के बच्चों में फैले रेस्पिरेटरी संक्रमण की लहर से कोई लेना देना नहीं है.