नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है. इसके साथ ही टैक्स बचाने और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के नए सीजन की भी शुरुआत हो गई है. टैक्स बचाने का सिलसिला वैसे तो पूरे फाइनेंशियल ईयर चलते रहता है, लेकिन उनमें से कुछ उपाय ऐसे होते हैं, जिनके ऊपर सिर्फ वित्त वर्ष की शुरुआत में ही अमल किया जा सकता है.
हाउस रेंट अलाउंस (HRA): अगर आपको नियोक्ता यानी कंपनी से एचआरए मिलता है तो आप जिस घर में रह रहे हैं, उसके किराए के बदले टैक्स से छूट ले सकते हैं. अभी कंपनी को इसके बारे में बता देने पर आपकी सैलरी से टैक्स डिडक्ट नहीं होगा.
लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA): आपके व परिवार के घूमने-फिरने के लिए कंपनी लीव ट्रैवल अलाउंस देती है. यात्रा के लिए प्लेन, ट्रेन या बस की टिकट के लिए जो रकम खर्च की गई है, उस पर छूट मिलती है. यह छूट हर चार साल में 2 बार मिलती है.
इंटरनेट और फोन बिल: आयकर कानून इंटरनेट और फोन बिल जमा करने पर उतनी रकम को इनकम टैक्स से छूट देता है. इसके तहत आप उस रकम पर लाभ पा सकते हैं, जो आपकी सैलरी में इस मद में है या आपने बिल भरा है.
फूड कूपन: कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्री-पेड फूड वाउचर/कूपन के जरिए फूड अलाउंस देती हैं. इसके तहत, एक वक्त के खाने के लिए 50 रुपये टैक्स-फ्री होते हैं. इस तरह से ऐसे कूपन का इस्तेमाल कर हर महीने 2,200 रुपये यानी सालाना 26,400 रुपये की सैलरी को टैक्स-फ्री बनाया जा सकता है.
फ्यूल व ट्रैवल रिम्बर्समेंट: अगर आप ऑफिस के काम के लिए टैक्सी या कैब से आते-जाते हैं तो इसे रिम्बर्स कराना टैक्स-फ्री होता है. अगर आप अपनी कार या कंपनी से मिली कार का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ईंधन व रख-रखाव के खर्च के लिए मिले भुगतान को टैक्स-फ्री करा सकते हैं.
इनके अलावा सैलरी में चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस और अखबार व पत्र-पत्रिकाएं के भत्ते जैसे कंपोनेंट भी होते हैं. आप वित्त वर्ष की शुरुआत में ही कंपनी से बात कर अपनी सैलरी में इन मदों को अपने हिसाब से एडजस्ट करा सकते हैं, जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने में मदद मिलेगी.